Salman Masalha : In the Dark Room
*सलमान मसाल्हा: अंधेरे कमरे में...
अँधेरे कमरे में दिखती हैं जो चीज़ें
वे नहीं दिखतीं रोशन कमरे में
अजनबी रोशनी जो आती है दूर से
आँगन में जा फिसलती है छाया की तरह
अँधेरे से थकी हारी।
एक काला पंछी खिड़की की मुंडेर पर
चूस रहा है शहद कोहरे में
मैं रहस्यों की किताब से एक आशीर्वाद थामता हूँ
मैं आँसुओं की घाटी की कहानी खोलता हूँ
जो आदमी उथले पानी में तैरा
गड्ढों से सोनमछली पकड़ता है और
उन्हें चोरों से बचाता है बच्चे के लिए
जो भीग कर आँसू की बूँद में डूब गया
अँधेरे कमरे में तुम याद करते हो
बातें जो भूल चुके थे
पराए वतनों में। अँधेरे में
जो चाहतों के साथ साथ बढ़ता है
बच्चे के लिए जो नहीं है, पीछे एक कमरा
है बड़े हो चुके बच्चे की यादों से भरा।
तालाबन्द ऐसे अतीत की तरह जिसने
वर्तमान कभी जाना ही नहीं
ठसाठस, एक ज़िन्दग़ी की तरह
मौत की अति भी है जिसके साथ।
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